उत्तराखंड: मिट्टी, कृषि, पशुपालन एवं सिंचाई

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश की सम्पूर्ण मिट्टी को 8 प्रमुख भागों में बाँटा है:

  1. एलुवियल (उलौढ़)

  2. लाल

  3. काली

  4. लेटराइट

  5. मरुस्थलीय

  6. पर्वतीय

  7. पीली

  8. दलदलीय

इस विभाजन के अनुसार उत्तराखंड की मिट्टी पर्वतीय मिट्टी है।

इस मिट्टी में चूना और फॉस्फोरस की कमी होती है, किंतु जैवांश की अधिकता होती है।

यहाँ का pH मान 5.5 से 6.5 के मध्य होता है।

उत्तराखंड की मृदा (मिट्टी)

तराई मिट्टी

राज्य के सबसे दक्षिण भाग में देहरादून के दक्षिणी छोर से उदम सिंह नगर(Udham Singh Nagar) तक, एक महीन कणों के निष्पेष से निर्मित तराई मिट्टी पाई जाती है।

राज्य की अन्य मिट्टियों की तुलना में यह अधिक परिपक्व तथा नाइट्रोजन की कमी वाली मिट्टी है।

यह मिट्टी समतल, दलदली, नम और उपजाऊ होती है।

इस क्षेत्र में गन्ने एवं धान की पैदावार अच्छी होती है।

भाभर मिट्टी

तराई के उत्तर और शिवालिक के दक्षिण में यह मिट्टी पाई जाती है। हिमालयी नदियों के भारी निष्पेष से निर्मित होने के कारण यह मिट्टी कंकड़ों-पत्थरों तथा मोटे बालू से बनी होती है, जो कि काफी चिकनी होती है। जिस कारण जल नीचे चला जाता है। यह मिट्टी कृषि के लिए अनुपयुक्त है।

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